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  • यूनिकोड (UNICODE)  मानक
  • सीएलडीआर (CLDR)
  • वर्ण एनकोडिंग
  • W3C मानक
  • कीबोर्ड मानक
  • लिप्यंतरण मानक
  • एसएमएस (SMS) मानक
  • संवाद संसाधन मानक
  • भाषा संसाधन विकास

मानकीकरण


मानकीकरण भाषाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाएं विकसित करने और इन्हें बनाए रखने के लिए भारतीय भाषा क्षेत्र की विविधता को एकजुट करने का एकमात्र माध्यम है. भारत में 22 संवैधानिक मान्यता प्राप्त भाषाएं और 11 लिपियां हैं, इसलिए भाषाओं के क्षेत्र में सर्वोत्तम प्रथाएं विकसित करने और इन्हें बनाए रखने के लिए मानकीकरण का एक साझा मंच होना आवश्यक है. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग (डीआईटी) द्वारा शुरू किया गया टीडीआईएल कार्यक्रम आईसीटी के क्षेत्र में भाषाई अवरोध के बिना संचार प्राप्ति के लिए भारतीय भाषाओं के मानकीकरण के विकास और रखरखाव पर ध्यान देने वाला एक शीर्ष निकाय है.

भारत और आईसीटी प्रणाली में इसकी सजीव भाषाओं की सार्वभौमिक स्थिरता और विकास को बनाए रखने के लिए टीडीआईएल मानकों के निम्नलिखित क्षेत्रों में काम कर रहा है ताकि बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए एप्लिकेशन विकसित करते समय 
भारतीय भाषाई लिपियों के इसके प्रमुख स्तंभों को संरक्षित रखा जा सके. टीडीआईएल निम्नलिखित क्षेत्र में मानकों के विकास और संवर्धन के लिए विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर काम कर रहा है:

1. यूनिकोड (UNICODE)  मानक – संचार एवं आईटी मंत्रालय का सूचना प्रौद्योगिकी विभाग यूनिकोड कंसोर्टियम का मतदाता सदस्य है. सभी ग्यारह भारतीय लिपियां अर्थात देवनागरी, बंगाली, गुरुमुखी, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, उड़िया, तमिल, अरबी और तेलुगु को यूनिकोड में प्रस्तुत किया जाता है. यूनिकोड की दो परियोजनाएं  टीडीआईएल की छत्रछाया के अंतर्गत विकसित हो रही हैं:

i) सीएलडीआर (CLDR) – इसमें यह स्थानीय विशिष्ट जानकारी शामिल है कि एक ऑपरेटिंग सिस्टम आम तौर पर छः भारतीय भाषाओं अर्थात हिन्दी, बंगाली, असमी, नेपाली, मलयालम और गुजराती के लिए एप्लिकेशन उपलब्ध कराएगा जिसे यूनिकोड सीएलडीआर समिति द्वारा स्वीकार कर लिया गया है.

ii) वर्ण एनकोडिंग - भारतीय भाषाओं की सभी लिपियों को डेटा के वैश्विक आदान-प्रदान के लिए यूनिकोड में प्रस्तुत किया जाता है. 

2. W3C मानक - W3C भारत कार्यालय की स्थापना भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में “भारतीय भाषाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास" के तत्वावधान में की गयी है. W3C भारत कार्यालय शिक्षा, सरकार, उद्योग और उद्योग संघों के सभी हितधारकों के साथ निकट सहयोग में काम करने का प्रस्ताव करता है. भारत W3C का एक मतदाता सदस्य और सलाहकार समिति का प्रतिनिधि है.

3. कीबोर्ड मानक – भारतीय लिपि कीबोर्ड को डीओई (DOE) द्वारा 1986 में मानकीकृत किया गया है, कीबोर्ड ओवरले स्वभाव में फोनेटिक है और इसमें संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त सभी 22 भाषाओं के लिए एक आम लेआउट मौजूद है.

4. लिप्यंतरण मानक – डीआईटी (DIT) का टीडीआईएल (TDIL) कार्यक्रम अन्य राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के साथ मिलकर लिप्यंतरण परियोजनाओं पर काम कर रहा है जिससे कि एक भाषा की प्रमुख साहित्यिक रचना का अन्य भारतीय भाषा में अनुवाद किया जा सके.

5. एसएमएस (SMS) मानक - डीआईटी (DIT) का टीडीआईएल (TDIL) कार्यक्रम भारतीय भाषाओं के एसएमएस में मानक विकसित करने के लिए काम कर रहा है ताकि भारत के लगभग 250 मिलियन मोबाइल उपयोगकर्ताओं को इसका लाभ प्राप्त हो. सेवा प्रदाता ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते ग्राहक आधार का लाभ उठाने में सक्षम नहीं होंगे जब तक कि सेवाएं स्थानीय भाषाओं में नहीं प्रदान की जाती हैं.

6. संवाद संसाधन मानक – एनसीआईएसटी (NCIST) के साथ-साथ टीडीआईएल (TDIL) संवाद मानकों को विकसित करने के लिए काम कर रहा है ताकि संसाधनों को भारतीय भाषाओं के लिए मानकों में विकसित किया जा सके. संवैधानिक रूप से मान्यता प्राप्त सभी 22 भाषाओं के लिए संवाद कॉर्पोरा विकास के अधीन है ताकि बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए विभिन्न एप्लिकेशनों को विकसित किया जा सके. 

7. भाषा संसाधन विकास - भारतीय भाषाओं के लिए भाषा संसाधन के इलेक्ट्रॉनिक संस्करण के लिए मानक विकसित करने में कार्यरत. इसका काफी मात्रा में कार्य प्रगति में है और शब्दकोशों, कॉर्पोरा आदि के विकास के अधीन है.

मानकीकरण गौर करने लायक लाभ प्रदान करता है और शब्दावली पर एक अंतरराष्ट्रीय सहमति स्थापित करता है, इस प्रकार यह प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को आसान और सुरक्षित बनाता है.